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अच्छे दिन आने वाले हैं।

दिल की आवाज़ कलम से
दिल की आवाज़ कलम से
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दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनावी नतीज़ों की इबादत साफ़ होते ही यह तय हो गया कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी ही देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। हर भारतवासी को गर्व होना चाहिए की उसका अगला प्रधानमंत्री “पूरे आत्मविश्वास से हिंदी बोलने वाला”,”भारतमाता की जय” का जयकारा बिना शर्मिंदगी महसूस किए लगाने वाला और एक गरीब का बेटा,”चाय बेचनेवाला” होगा। लोकतंत्र के लिए इससे बड़ी ख़ुशी और क्या हो सकती है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव का नायक, एक ऐसा सख़्श बना, जिसने ख़ुद की क़ाबिलियत से भारतीय राजनीती में अपनी एक अहम् पहचान बनाई।मोदी की ऐतिहासिक जीत ने राजनीती और खासकर चुनाव की तासीर ही बदल दी। साथ ही यह संदेश भी स्पष्ट कर दिया कि विकास को नज़रअंदाज़ कर जातिवाद और सांप्रदयिकता का मुद्दा अब लोगों को नहीं भरमा सकता।

गौरतलब है कि भारतीय राजनीती के इतिहास में क़रीबन ३० साल बाद किसी पार्टी को स्पष्ट जनादेश मिला है। और इसका सारा श्रेय नरेंद्र मोदी को ही जाता है। ६३ साल की उम्र में मोदी ने जिस तरह बिना थके बिना रुके धुंआधार प्रचार किया,उसके जरिए उन्होंने दिखा दिया कि ज़ज्बे के सामने उम्र बाधक नहीं बन सकती। मोदी की ख़ासियत यह रही कि उन्होंने हरेक तबके की बात की और हर वर्ग के भीतर आशा का संचार किया। देश की जनता करप्शन,सुस्त आर्थिक सेहत,इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी,गरीबी,बेरोज़गारी जैसे अनगिनत मुद्दों से परेशान थी। मोदी ने इन्हीं मुद्दों को अपना हथिआर बना,सवा सौ करोड़ देशवासियों की बात कर अपने सपने को सबका सपना बनाने में क़ामयाब हुए। उन्होंने अपनी हर चुनावी रैली के दौरान सिर्फ और सिर्फ विकाश को मुद्दा बनाकर लोगों का दिल जीत लिया। लोगों ने भी वर्त्तमान यूपीए सरकार को धूल चटाते हुए अपनी सारी उम्मीदें मोदी के कन्धों में टिका दी।

भाजपा की इस बड़ी जीत से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एक स्थायी सरकार बनने का रास्ता साफ़ हो गया। इसका फ़ायदा यह होगा कि देशहित में कोई भी बड़ा फ़ैसला लेने से पहले सरकार को किसी भी दिक्कतों का सामना करना नहीं पड़ेगा। विदेश नीति के मोर्चे पर भी सरकार स्वंतंत्र तरीके से फैसला लेने में सक्षम होगी।

अब देखना यह दिलचस्प होगा की नरेंद्र मोदी लोगों से किये उन तमाम वादों को कब तक पूरा करतें हैं। या फिर हर बार की ही तरह इस बार भी सब कुछ हवा-हवाई ही होगा। खैर नरेंद्र मोदी के गुजरात को देखें तो आशा की किरण दिखती ही है। आशा करतें है कि मोदी जी गुजरात की तरह ही देश को भी एक नयी ऊंचाई पर ले जाने में क़ामयाब होंगे। आशा करतें हैं कि “अच्छे दिन आने वाले हैं”।

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