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भारत के युवा बदलेंगे भारत की तस्वीर

दिल की आवाज़ कलम से
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yuva

युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता है जिसमें हमें उस युग का भूत, वर्तमान और भविष्य, साफ़-साफ़ दिखाई पड़ता है । इनमें इतना जोश रहता है कि ये किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिये तैयार रहते हैं । चाहे वह कुर्बानी ही क्यों न हो, नवयुवक अतीत का गौरव और भविष्य का कर्णधार होता है और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता भी है ।
हर देश की तरक्की में वहां के युवाओं का बहुत बड़ा हाथ होता है,यूँ कहें तो युवावर्ग देश के भाग्य विधाता होते हैं। हर क्षेत्र की भांति राजनीति में भी युवाओं के सक्रिय भागीदारी की अतंत्य आवश्यकता है।जहाँ तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का सवाल है तो यहाँ के युवाओं की राजनैतिक भागीदारी काफ़ी कम रही है। किन्तु भारत में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इसबार युवाओं में ख़ासकर काफ़ी दिलचस्पी देखने को मिल रही है।
गौरतलब है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया जारी है। इस बार भारत में आम चुनाव कई मायनों में अलग है।16वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में युवा मतदाता बड़ी संख्या में वोट देने जा रहे हैं। आम चुनावों में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे। अलग-अलग अध्ययनों के मुताबिक़ यह पता चला है कि युवाओं ने कभी किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में जमकर वोट नहीं किया है। यह हक़ीक़त कम से कम पिछले पांच आम चुनाव (१९९६, १९९८, १९९९, २००४ और २००९) के दौरान साफ़ नज़र आया है। युवा मतदाता हमेशा से विभिन्न राजनीतिक दलों में विभाजित होते रहे हैं।युवाओं का मत भी ठीक उसी प्रकार बँट जाता है,जैसा की दूसरे वर्ग के मतदाता बंटते हैं।भारत जैसे विशाल देश में भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र इत्यादि के आधार पर कई तरह की विविधताएं मौजूद हैं और युवा वर्ग भी काफ़ी हद तक इन विविधताओं को मद्देनज़र रखते हुए ही अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
किन्तु इस बार के चुनाव में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि भारत का युवा किसके पक्ष में जमकर वोट करता है या फ़िर हर बार की तरह इस बार भी उनका वोट बँट जायेगा। माना जा रहा है कि इस बार के युवाओं का मत,किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव हरा सकता है या फिर किसी दल को अपने दम पर चुनाव जिता सकता है। इसकी वजह यह है कि ऐसे मतदाताओं की संख्या क़रीब उतनी है जितने मत पाकर कांग्रेस ने पिछले आम चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीती थीं और दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।
इससे यह साफ़ स्पष्ट होता है कि इस बार भारतीय राजनीति की तस्वीर बदलने का सारा दारोमदार युवा वर्गों पर ही है। दूसरे शब्दों में कहें तो “अगला प्रधानमंत्री देश के युवा निर्धारित करेंगें”

युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता है जिसमें हमें उस युग का भूत, वर्तमान और भविष्य, साफ़-साफ़ दिखाई पड़ता है । इनमें इतना जोश रहता है कि ये किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिये तैयार रहते हैं । चाहे वह कुर्बानी ही क्यों न हो, नवयुवक अतीत का गौरव और भविष्य का कर्णधार होता है और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता भी है ।

हर देश की तरक्की में वहां के युवाओं का बहुत बड़ा हाथ होता है,यूँ कहें तो युवावर्ग देश के भाग्य विधाता होते हैं। हर क्षेत्र की भांति राजनीति में भी युवाओं के सक्रिय भागीदारी की अतंत्य आवश्यकता है।जहाँ तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का सवाल है तो यहाँ के युवाओं की राजनैतिक भागीदारी काफ़ी कम रही है। किन्तु भारत में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इसबार युवाओं में ख़ासकर काफ़ी दिलचस्पी देखने को मिल रही है।

गौरतलब है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया जारी है। इस बार भारत में आम चुनाव कई मायनों में अलग है।16वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में युवा मतदाता बड़ी संख्या में वोट देने जा रहे हैं। आम चुनावों में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे। अलग-अलग अध्ययनों के मुताबिक़ यह पता चला है कि युवाओं ने कभी किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में जमकर वोट नहीं किया है। यह हक़ीक़त कम से कम पिछले पांच आम चुनाव (१९९६, १९९८, १९९९, २००४ और २००९) के दौरान साफ़ नज़र आया है। युवा मतदाता हमेशा से विभिन्न राजनीतिक दलों में विभाजित होते रहे हैं।युवाओं का मत भी ठीक उसी प्रकार बँट जाता है,जैसा की दूसरे वर्ग के मतदाता बंटते हैं।भारत जैसे विशाल देश में भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र इत्यादि के आधार पर कई तरह की विविधताएं मौजूद हैं और युवा वर्ग भी काफ़ी हद तक इन विविधताओं को मद्देनज़र रखते हुए ही अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।

किन्तु इस बार के चुनाव में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि भारत का युवा किसके पक्ष में जमकर वोट करता है या फ़िर हर बार की तरह इस बार भी उनका वोट बँट जायेगा। माना जा रहा है कि इस बार के युवाओं का मत,किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव हरा सकता है या फिर किसी दल को अपने दम पर चुनाव जिता सकता है। इसकी वजह यह है कि ऐसे मतदाताओं की संख्या क़रीब उतनी है जितने मत पाकर कांग्रेस ने पिछले आम चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीती थीं और दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।

इससे यह साफ़ स्पष्ट होता है कि इस बार भारतीय राजनीति की तस्वीर बदलने का सारा दारोमदार युवा वर्गों पर ही है। दूसरे शब्दों में कहें तो “अगला प्रधानमंत्री देश के युवा निर्धारित करेंगें”

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